...

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अलग नहीं
तेरे होने से अगर मुझे कोई एतराज़ ना हो
तो क्यूं अपने कमियों को गिनने मे वक्त
और जिंदगी की बची कुच्छी खुशियों को
बर्बाद करके कल का रुकावट बना रहें है?

अगर साथ होने से अलग होना ही किस्मत है
तो मुझे वो भी मंजूर है, हां सच कह रही हूं।
लेकिन तेरे ना होकर लंबी जीना नहीं मुझे
वो जीना ही क्या, तुम और मैं अलग - अलग।

जिंदगी को कभी इस मोड पे नहीं लेना
जहां हमे ये लगें की ' कुछ गलत किया क्या?'
मैं और तू एक सिक्के का दूसरा पहलू है,
वो कभी मिडाने नहीं देना, कभी भी नहीं।


© avn