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खाली पन्नो में कुछ लफ़्ज़ों को यूँ भर लूँ !
खाली पन्नो में कुछ लफ़्ज़ों को कुछ यूँ भर लूँ !

मौन आंसुओं से एक नई कविता रच दूँ !

क्या ऐसी कविता लिख पाऊं ?

बह जाये जहाँ हर एहसास मेरे

बूंद बूंद हर आँखों से

बूंद बूंद हर आँखों मे

आकर फिर इन्ही खाली पन्नो में

रुक जाए यूँही न अश्रु मेरे !

खाली पन्नो में कुछ और लफ़्ज़ों को रच दू

खिलखिलाती हँसी से एक मुस्कुराता आलम भर लूँ

गूँजे हर दिशा यूँही गीतमाला की

ऐसी खुशियों से भरी ग़ज़ल लिख दूँ !

गीत नई ,नई भावनाओ की ,साँसों मे अपने कुछ ऐसे भर दूँ !

बहती धारा सी बहते ,एक कागज़ की नाव

बहते है कुछ अनजान बहाव

रूकती है फिर मेरी कलम !

बहती रहे कागज़ की नाव एक तरफ़ा यूँही अनजान ,बेनाम !

देख हर पन्नो की अधूरी रचना

खाली स्याही मे कुछ रंग भर दूँ !

फूलो से सजी खुशबू कुछ रंग लू !

रंगों से भरे कुछ फूलों की

महक यूँ ही रच दू !

रंगती रहूँ हर आते जाते लम्हों को

पन्नो को मैं यू निहार लू

जैसे इन्द्रधनुष हो कागज़ में...

आसमान मेरी बाहों मे !

ऐसी कुछ रचना रच दूँ !

लेती साथ मेरे हर एहसास ,हर रास्ते

यूँही खाली कागज़ के वास्ते !

जीवन को जो कलम देती

वो है राह नए आदर्शो की !

हर राह चलती रहूँ
महज कल्पनाओं में न डूबूं

कल्पनाओं में सच्चाई खोजती हुई

यह खाली पन्नों में उलझी स्याही मेरी !

यह हे एक सुंदर मौन जीवन की कलम !

जीवित हर पल मेरे संग!
© shiny
(2011 post)