जीवन
परिपक्वता से भले भरा अंजुल
अबोध फिर भी बैठा बंधु
कवायदो मे होकर मसरूफ
मगरूर सी है सभ्यता अब
दलील देता हर-...
अबोध फिर भी बैठा बंधु
कवायदो मे होकर मसरूफ
मगरूर सी है सभ्यता अब
दलील देता हर-...