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प्रेम विवाह
प्रेम विवाह न करना मित्रों, जब तक स्वयं न सक्षम हों।
कटु व्यवहार किया जाता जग में, जैसे अपराध अछम्य हो।

बद्दुआओं की झड़ी भी लगती, पल पल कोसे जाते प्रेमी,
पा न सकें जीवन में कुछ तो दोषी भी ठहराये जाते प्रेमी।

प्रेमी भी इंसां हैं कौन इन्हें ये बतलाये,
जरूरत इन्हें भी पड़ती, कोई दुआएं इन्हें भी दे जाये।

न कोई अपना होता इनका,
न पराया, न ही मित्र,सगा ।
हर मोड़ पर ये रहें अकेले,
पीछे न इनके कोई खड़ा।

अपने ही बन जाते शत्रु ,प्रेम उन्हें इनका ज़रा न भाता।
ये थे ही गलत,ये हैं ही गलत,सबको बतलाया भी जाता,

मित्रों की भी बात अलग है, हर कोई राह बदलता है,
साथ खड़ा न कोई यहां पर अछूत ही समझा जाता है।

उतार चढ़ाव जब आते जीवन में , प्रेम विवाह ही बाधक कहलाता
अकेला रह जाता है जोड़ा कभी किसी को न तक(देख) सकता।

किया जाता परेशान उन्हें जैसे वे ही अक्षम हों,
कर प्रेम विवाह किया उन्होंने,जैसे कोई महाअधर्म हो।
प्रेम विवाह न करना मित्रों जब तक स्वयं न सक्षम हो।

साथी से तकरार हुआ जो,कोई सुलह न करवाता,
मन ही मन खुश होता अपना,अलगाव की बात भी कह जाता।

स्वयं ही समझना सहना पड़ता है,
हर जंग स्वयं ही लड़ना पड़ता है।

कभी साथ मन से न अपना होता है।
मित्रों की भी भौंहें तनती ,जाने क्या फर्क उनको पड़ता है।

प्रेम विवाह पथ बोहोत कठिन है, कोई कभी न ये समझ सका ।
खुद को स्वाहा करना पड़ता है, तब जाकर है यह फलता फूलता।

प्रेम विवाह न करना मित्रों जब तक स्वयं न सक्षम हों।
प्रेम विवाह उसी से करना जिससे अच्छा तारतम्य हो।

Glory❤️