...

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गलतफहमी
होता है,
बहुत कटु अनुभव,
जब समझ न पाए,
कोई हमारी बात।
मन के भाव,
रह जाते दब के,
जब अपने भी न देते साथ।
उनका भला हो,
यह मंशा थी हमारी,
पर राहू केतू थे,
बैठे कुंडली में,
जिन्होने बनती बात बिगाड़ी।
दुविधा में पड़,
जब सोच रहा यह मन,
कमी थी क्या कुछ कर्मों में,
जो हुआ यह उलटफेर,
तभी मिल गए एक मित्र राह में,
बोले,छोड़ो तुम चिन्ता,
ईश्वर है गवाह,
दी थी तुमने नेक सलाह,
और दुखिया को पनाह,
खोट नहीं क्योंकि तुम्हारी नीयत में,
इसलिए रहो न तुम,
ग्रसित किसी दोष में।

#writcopoem#madad
© mere alfaaz