कुछ ख्वाहिशें अनकही सी
माना बहुत कुछ मिल जाता है हमें बिन मांगे
लेकिन ख्वाहिशें कुछ अनकही सी हैं
एक मन्नत अधूरी सी मन में दबी
जिन्हे बताना चाहा लेकिन कह न सकी
कुछ बूंदे भी पड़ी पर बरसीं नहीं...
लेकिन ख्वाहिशें कुछ अनकही सी हैं
एक मन्नत अधूरी सी मन में दबी
जिन्हे बताना चाहा लेकिन कह न सकी
कुछ बूंदे भी पड़ी पर बरसीं नहीं...