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इश्क इंतजार है
#इंतज़ार



सांझ सवेरे बस मुरली बजा रहा था मैं,
गोकुल की गलियों में माखन चुरा रहा था मैं,
पल भर के लिए बस मिली नज़र जो उनसे,
तो समय थाम कर उनको अपने नैनों में बसा रहा था मैं।

पार करके हर एक चौखट उसके पास चला जा रहा था मैं,
सखियों संग उसको खेलता देख मन ही मन मुस्कुरा रहा था मैं,
हाथ थामकर नाम पूछ लिया मैंने अचानक से उससे,
घबराकर वो हाथ छुड़ाए और अलग ही उल्लास में जिए जा रहा था मैं।

आखरी नहीं है यह अपनी मुलाकात मिलते रहेंगे हम,
जन्मों-जन्मों का साथ है अपना ऐसे ही चलते रहेंगे हम,
चौंककर वो बोल बैंठी उदंड, हठी बालक कौन हो तुम,
'श्याम', राधा के साथ कितना खूबसूरत लगता है ये नाम तो अब राधे-श्याम सुनते रहेंगे हम।

सुनकर‌ राधा चौंक गई, कैसे पता चला नाम तुम्हें हमारा,
कबसे जानते हो हमें और कितना पुराना है साथ हमारा,
मुस्कुराते हुए कान्हा ने बताया कि साथ तो अपना सौ जन्मों का है,
और राधेश्याम तो एक ही हैं, प्यार तो सारा संसार जानता है हमारा।

आगे आकर बोली राधारानी कि एक हो या सौ जन्म,
हठ छोड़ो अपनी गोपाला क्योंकि मुझे नहीं पा पाओगे तुम,
ये इश्क इंतजार मांगता है और यह संसार प्यार का प्रमाण मांगता है,
बोलो क्या मेरे साथ के लिए और इस प्यार के लिए ये परीक्षा दे पाओगे तुम।

बस इतनी सी बात पर ही जैसे हवाओं ने रास्ता बदल लिया था,
और अशांत यमुना के पानी में जैसे सन्नाटा छा गया था,
छलक गए थे कुछ आंसू श्री कृष्ण के नैनों से,
जैसे किसी ने उनसे उनका संसार मांग लिया था।

पर बात अगर परीक्षा की है, तो हमें यह त्याग करना होगा,
इस संसार को प्रेम का सही अर्थ सिखाने के लिए एक उदाहरण खड़ा करना होगा,
सुनते ही यह शब्द जैसे मौसम ने हाल बदला हो,
समय का पहिया थामकर श्री कृष्ण के शब्दों से किसी ने फिर से भविष्य लिखा होगा।

सौ जन्मों का साथ अब सौ जन्मों का इंतजार बन गया है,
दो दिलों का प्यार अब सबके लिए इश्क का प्रमाण बन गया है,
राधा-कृष्ण की मूर्ति तो हर मंदिर में है,
पर राधारानी और द्वारकाधीश के लिए उनका यह इश्क इंतजार बन गया है।।







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