...

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रिश्ते
यहां रिश्ते बनते नहीं,
बनाए जाते हैं,
अपने स्वार्थ के लिए,
स्वार्थ हासिल हो जाए,
तो पुराना रिश्ता खतम,
फिर नए किरदार ढुंढ ने
चल पड़े, फिर नए रिश्ते,
कुछ औरों को
बनाने अपने, पीछे छोड़
वो सारे पुराने रिश्ते,
पुराने वादे और यादें।
आज की दुनिया की
अजीब दुनियादारी .....
© Dr. Jyoti Prakash Rath