...

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तुमसे मोहब्बत हो गई है
मुल्तफ़ित हुए हैं जब से तुमसे दुनिया खूबसूरत हो गई है,
रौशन हुआ दिल का दयार और तुमसे मोहब्बत हो गई है।

सोचा था दूर ही रखेंगे इस लाइलाज मर्ज़ से ख़ुद को,
देख कर तेरी प्यारी सूरत हमसे ये हिमाकत हो गई है।

शायद हम पर निगाह- ए- करम है उस ख़ुदा का,
जो हम पर ख़ुदा की इस तरह इनायत हो गई है।

मेरे दिल का तेरे दिल से है कोई मरासिम पुराना,
दिल-ए- शाद को सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरी आदत हो गई है।

तेरे कुर्ब की ख़ुशबू समाई रहती है अब तो मुझमें,
एक पल भी दूर तुमसे रह पाना मुसीबत हो गई है।

हर तमन्ना हर मसर्रत है अब तेरे ही दम से,
छुप छुप कर देखना तुमको गुस्ताख़ नज़रों की फ़ितरत हो गई है।

मुल्तफ़ित - आकर्षित
मरासिम - रिश्ता