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क्या यही फ़र्ज था,मुहब्बत का बस दुआ करना,
क्या यही फ़र्ज था,मुहब्बत का बस दुआ करना,
नहीं ना, वादा हुआ था,,
ज़िन्दगी में ना सही,ख़्वाब में रोज़ मिला करना!!
सुनो,
ये रिवायत आज भी निभाई जाती है,
सोने से पहले तेरी तस्वीर दिल में सजाई जाती है!!
याररऱ....हामी
क्या बताऊं उसकी अदाओं का कहर,,
ना बुलाऊं फिर भी रोज़ ख़्वाब में आई जाती है!!❤️
© Les Alphas de Haya❣️
नहीं ना, वादा हुआ था,,
ज़िन्दगी में ना सही,ख़्वाब में रोज़ मिला करना!!
सुनो,
ये रिवायत आज भी निभाई जाती है,
सोने से पहले तेरी तस्वीर दिल में सजाई जाती है!!
याररऱ....हामी
क्या बताऊं उसकी अदाओं का कहर,,
ना बुलाऊं फिर भी रोज़ ख़्वाब में आई जाती है!!❤️
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