...

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।।गुरु की महत्वता।।
गुरु ही आरंभ है,
गुरु ही अंत है,

एक वही तो है जीवन का आधार,
और वही है जीवन का सार,

गुरु ही गूंजता हुआ मधुर गीत है,
गुरु ही तो हमारी प्रीत है,

ढूंढ रहा था कि मेरे भी कोई गुरु हो,
पर आप तो खुद चल के हमको प्रेम देने आ गए,

गुरु ही है जो सब कुछ है,
बाकी सब तो यहाँ पे अधूरा ही है,

पता नहीं आपने केसे अपनाया मुझे,
मुझमे तो कुछ अच्छा नहीं है,

मैने ये कहावत तो सुनी थी की,

"गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय,
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो मिलाय,"
पर अब समज आया कि गुरु इश्वर से भी बढकर है,

हम तो बस एक बुंद है,
पर गुरु तो प्रेम का सागर है,

मेने तो खुदको सौंप दिया है आपको,
नरक में भेज दो या प्राण लेलो,

औकात नही मेरी कि आपके बारे में लिख सकूँ,
गुरु आप तो अवरणीय हो,

आखिर में इतना ही कहुँगा आपसे,
दुर न करना हमको खुदसे,
सब लुटा दिया है आप पर,
अगर दुर कर दिया आपने, मौत के अलावा विकल्प न रहेगा मेरे पास।
© the mystery man