पुष्पों सी तुम
तुम फूलों सी हो
या कलियों सी हो
गांव की सुंदर
गलियों सी हो,
हमने देखा न कभी तुम्हें
तुमने देखा न कभी हमें
मिलना तुमसे चाहें मगर
हो मुमकिन तुम चाहो अगर,
सर्दी में तुम कंबल सी हो
गर्मी में तुम अंबर सी हो
पतझड़ में हरियाली सी हो
पुष्पों की तुम लाली सी हो I
© सोमनाथ यादव
या कलियों सी हो
गांव की सुंदर
गलियों सी हो,
हमने देखा न कभी तुम्हें
तुमने देखा न कभी हमें
मिलना तुमसे चाहें मगर
हो मुमकिन तुम चाहो अगर,
सर्दी में तुम कंबल सी हो
गर्मी में तुम अंबर सी हो
पतझड़ में हरियाली सी हो
पुष्पों की तुम लाली सी हो I
© सोमनाथ यादव