...

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लेकिन आज भी वही पर खड़ा हूं मैं....🥺।
उम्र नाज़ुक पड़ाव पर थी ही,
कि इश्क़ में गिर गया मैं।
अभी जरा संभला ही था,
कि दुनियादारी से घिर गया मैं।
ये दुनियादारी सीखने की चाहत में,
रिश्ते निभाना ही भूल गया मैं।
अब लगा कि गलती की है,
तो उसे सुधारने चला में,
और बिगड़ी बातें सुधारने की चाहत में,
सुधरी हुई बातें भी बिगाड़ बैठा मैं।
पता नहीं क्या पाने की चाहत में,
खुद को ही खो बैठा मैं।
इस तरह अपनी जिंदगी में,
सब कुछ हारता गया मैं।
उम्र उस नाज़ुक पड़ाव से आगे बढ़ गई,
लेकिन आज भी वही पर खड़ा हूं मैं।
© Arya Payal
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