...

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बाकी है,,,
दर्द भरी की इक गजल लिखी है,,
अभी इसमे आह भरना बाकी है,,

अभी तितली से रंग उधार लेने हैं,,
अश्को का आब बनके बरसना बाकी है,,

दरख्तो से उतारने है पिले पते,,
बाद-ए-सबा का यहाँ से गुजरना बाकी है,,

सबर करो,,शब से तीरगी मांगनी है अभी,
स्याह रंगो को अशरारो मे उतरना बाकी है,,

मौज-ए-वफा,,से टकराई है,,फरेबी की कश्तीयां,,
अभी ना-खुदा का सतह पर उभरना बाकी है,,

यार की जफाएं ,,थार बनके बदन से लिपटी हैं,,
अभी,,रूह मे जहर शूमार करना बाकी है,,

जलना है,,चरागो के जैसे दिल को मेरे,,
अभी इश्क मे,,हमे बेमौत मरना बाकी है,,
© kuhoo