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स्वर्णिम युग
श्री राम सी मर्यादा न बची
सीता सा पवित्र न कोई जग में,
राधा सा प्रेम न बचा किसी में
और न ही श्री कृष्ण सा धर्म ज्ञान किसी में।
राजा हरिशंद्र सा सत्य न रचा बसा किसी में
गौतम बुद्ध सा धैर्यवान न कोई जग में,
स्वामी विवेकानन्द सा ध्यान न रहा किसी में
और न ही ब्रह्मा के समान चारो वेदों का ज्ञान ।
द्रौपदी सा तेज न बचा
सीता सा न स्वाभिमान ,
रानी लक्ष्मीबाई सा निडर न कोई यहां
और न ही राज़ी सुलतान सा वीर कोई ।
,,,,,, जगाओ उस स्वर्णिम युग के अंश को
वापस लाओ, द्रौपदी सा तेज
सीता सा स्वाभिमान,
लक्ष्मीबाई सी निडरता
और राज़ी सुलतान सी वीरता।
वापस लाओ, हैशचंद्र सा सत्य
गौतम बुद्ध सा धैर्य
स्वामी विवेकानन्द के
समान ध्यान
और ब्रह्मा के समान ज्ञान।
© yara
सीता सा पवित्र न कोई जग में,
राधा सा प्रेम न बचा किसी में
और न ही श्री कृष्ण सा धर्म ज्ञान किसी में।
राजा हरिशंद्र सा सत्य न रचा बसा किसी में
गौतम बुद्ध सा धैर्यवान न कोई जग में,
स्वामी विवेकानन्द सा ध्यान न रहा किसी में
और न ही ब्रह्मा के समान चारो वेदों का ज्ञान ।
द्रौपदी सा तेज न बचा
सीता सा न स्वाभिमान ,
रानी लक्ष्मीबाई सा निडर न कोई यहां
और न ही राज़ी सुलतान सा वीर कोई ।
,,,,,, जगाओ उस स्वर्णिम युग के अंश को
वापस लाओ, द्रौपदी सा तेज
सीता सा स्वाभिमान,
लक्ष्मीबाई सी निडरता
और राज़ी सुलतान सी वीरता।
वापस लाओ, हैशचंद्र सा सत्य
गौतम बुद्ध सा धैर्य
स्वामी विवेकानन्द के
समान ध्यान
और ब्रह्मा के समान ज्ञान।
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