...

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क़यामत
खट्टी-मीठी यादें,
दौलत हैं मेरी,
साथ बिताया हर एक पल,
मानो कोई अनमोल गहना है,
धीमे से तुम्हारे कानों में,
आज कुछ कहना है,
जिस तरह की रवानगी में,
गुज़र गए यह अठारह साल,
उसी तरह मस्ती में,
आगे भी बहना है,
कयामत से कयामत तक,
इक दूजे के दिल में ,
इसी तरह रहना है।
- राजेश वर्मा
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