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प्रिय तुम हो.......
प्रिय तुम हो
मेरे गृहस्थ जीवन के आधार
आवश्यकता से ज्यादा मितव्यई ना होना
नहीं तो जान नहीं पाओगे ......
मेरे जीवन के उल्लास और उमंग की तरंगे💞
स्वाभिमानी होना
पर दूर रहना पुरुषत्व अहंकार से
नहीं तो वंचित रह जाओगे ........
मेरे स्त्रीत्व की अनुपम कलाओं से💞
निर्णायक बनना पर
ना ओढ़ना उदासी का पैरहन
नहीं तो कैसे अनुभूत कर पाओगे......
हास परिहास,मेरे प्रेम की प्रगाढ़ता को💞
© ऋत्विजा
मेरे गृहस्थ जीवन के आधार
आवश्यकता से ज्यादा मितव्यई ना होना
नहीं तो जान नहीं पाओगे ......
मेरे जीवन के उल्लास और उमंग की तरंगे💞
स्वाभिमानी होना
पर दूर रहना पुरुषत्व अहंकार से
नहीं तो वंचित रह जाओगे ........
मेरे स्त्रीत्व की अनुपम कलाओं से💞
निर्णायक बनना पर
ना ओढ़ना उदासी का पैरहन
नहीं तो कैसे अनुभूत कर पाओगे......
हास परिहास,मेरे प्रेम की प्रगाढ़ता को💞
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