...

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बचपन की यादें
ला सको तो मेरे बचपन का ज़माना लेते आना
वो हंसी बेफ़िक्र‌, वो मस्ती भरा मौसम सुहाना

दोस्तों के साथ दिन भर खेलना लड़ना झगड़ना
एक पल में रूठ जाना दूसरे पल ख़ुद मनाना

फिर से वो नटखट शरारत फिर वही बिंदास बहसें
फिर से ख़ुद आफ़त में पड़ना और रोना गिड़गिड़ाना

नानी के परियों के किस्से नाना का मीठा तराना
मां के हाथों पिटते रहना मामी का आकर बचाना

पढ़ने लिखने में अरुचि पर रोज़ ही स्कूल जाना
मास्टर पूछे सबब जब नित नया गढ़ना बहाना

धूप गर्मी लू में रहना बाग में ही दिन बिताना
ताल में दिन भर नहाना खाना पीना भूल जाना

गाड़ी बंगला नाम शोहरत ले लो जो हासिल मुझे है
बस मुझे लौटा दो मेरी वो ख़ुशी वो खिलखिलाना
© ShashiN