...

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जय माता रानी
वो आती हैं रूप नौ लेकर
जाती हैं सीख हमें देकर
डरना नहीं निडर बन
सहना नहीं सबल बन
नारी तू अबला नहीं
ठान ले जो एक बार
खुल जाए हर रास्ता
खुल जाए हर इक द्वार
अडिग अटल संस्कारों पर चल
बहती है जैसी नदिया कल कल
स्वयं को नीचा ना समझ
झुकना नहीं बेखौफ रहा कर
खिल खिला के हंसना
जब इच्छा हो पंखी सी उड़ान भरना
सब जग तेरा इंतजार करता है
राक्षस भी तेरे काली रूप से डरता है
सेवा कर मदद कर प्रयत्न कर
रुकना नहीं झुकना नहीं
खोखले इन उसूलों के नाम के आडंबर आगे
ना ही पथ से भटकना आज़ादी के नाम पे
बस चले चल रूद्राणी है काली है तू
मां है सबकी अंदर तेरे... इस बगिया की माली है तू...

© cmcb