किस बात का गिला है
कहो तो सही किस बात का गिला है,
ख़त्म ही नहीं होता न जाने कैसा सिलसिला है..
अभी तो खुश थे बहुत और अभी नाराज़ बैठे हो,
कहो तो सही क्या बात है आख़िर क्यूं हमसे...
ख़त्म ही नहीं होता न जाने कैसा सिलसिला है..
अभी तो खुश थे बहुत और अभी नाराज़ बैठे हो,
कहो तो सही क्या बात है आख़िर क्यूं हमसे...