आओ किसी के मुस्कुराने की वज़ह बन जाएँ
आओ किसी के मुस्कुराने की वज़ह बन जाएँ,
आओ किसी के गुनगुनाने की वज़ह बन जाएँ।।
कहीं ग़रिब-ख़ाने उजड़ न जाए भुखमरी में,
किसी के दो वक़्त खाने की वज़ह बन जाएँ।।
अँधियारे हैं चौबारे,...
आओ किसी के गुनगुनाने की वज़ह बन जाएँ।।
कहीं ग़रिब-ख़ाने उजड़ न जाए भुखमरी में,
किसी के दो वक़्त खाने की वज़ह बन जाएँ।।
अँधियारे हैं चौबारे,...