चाहत
ज़िन्दगी टूट के चाहा तुझको,
फिर मैं रेज़ा-रेज़ा बिखर गया।।
और तो क्या होता भला तेरे बिन,
दिन रात रोते-रोते निखर गया।।
ऐ वादा फरामोश इतना बता दे,
क्यूँ तूँ हर वादे से मुकर गया।।
पुछेंगे तुम से आते जाते लोग ये,
तुम्हें चाहने वाला किधर गया।।
बस हँसकर कह देना ज़माने से,
वो मुझ पे मरता था, मर गया।।
©Bharat Rajpurohit✍
#इश्क़ #WritcoQuote #urdupoetry
#ज़िन्दगी
© भरत 'राज़'
फिर मैं रेज़ा-रेज़ा बिखर गया।।
और तो क्या होता भला तेरे बिन,
दिन रात रोते-रोते निखर गया।।
ऐ वादा फरामोश इतना बता दे,
क्यूँ तूँ हर वादे से मुकर गया।।
पुछेंगे तुम से आते जाते लोग ये,
तुम्हें चाहने वाला किधर गया।।
बस हँसकर कह देना ज़माने से,
वो मुझ पे मरता था, मर गया।।
©Bharat Rajpurohit✍
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© भरत 'राज़'