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अतुल्य कृष्णा ( वास्तविक कृष्णा से कोसों दूर)
मन में कुछ सवाल हैं
व्याकुल हृदय के हाल हैं
उत्तर ढूंढ रही हूं मैं
पर मिल न रहे जवाब हैं।

उसने बोला मुझ संग सो के
पैदा कर लो बच्चे चार
सोच रही हूं क्यूं यह प्राणी
ना करवाए अपने मस्तिष्क का उपचार।

कई दफा कहा था मैंने भी
उपचार कराओ अपना यार
नहीं तो मैं ही करवा दूंगी उपचार
बस सबर करो दो तीन साल।

वो राधा राधा कहता मुझको
पर प्रेम को उसने समझा ना
जब प्रेम की परिभाषा पूछी तो
कहा योग अंतर्मन का।

जब बातें हैं अंतर्मन की
तो काम वासना आई क्यूं?
अपनी हवस को प्रेम बता कर
इतराया वो करता था।

मुझे राधा बनने का शौख नहीं
ना ही बंधना है किसी बंधन में
वो कृष्णा तो खुद को कहता था
पर कृष्णा को उसने समझा ना।

वो कहता था चाहूं मैं तुमको
पुरुष नारी की दृष्टि से
ये...