...

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ओ! इसरो
ओ! इसरो, तुम्हारे संघर्ष तुम्हारी जीत को सलाम है
चांद तो बस शुरुआत है, ब्रह्माण्ड तक का मुकाम है
बैलगाड़ी के पहियों से, पटरियों तक का ये सफ़र
विदेशियों की उपेक्षाओं से, अपेक्षाओं की ये डगर
कितनी ही चुनौतियां, असफलताएं आईं हों मगर
जीत की प्रतिभा तनिक भी, डगमगाई ना मगर
बस देश के सम्मान हित, इसरो के गौरव मान हित
पीछे कभी मुड़कर जरा, देखा न राहों में ठहर
कहते थे जो कुछ लोग...