...

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दुनिया की फ़ितरत
अजीब आलम है इस अनोखी दुनिया का भी ,

खुदा भी खुद आ जाए तो परवरदिगार नहीं
समझती,
कला देखकर भी उसको कलाकार नहीं समझती

सीरत का बखान तो खूब करती है मगर
जो खूबसूरत नहीं उसका दीदार नहीं करती

बराबरी की चर्चाएँ महफ़िल में होती हैं बहुत
पर जो हमउम्र नहीं उसे तजुर्बेकार नहीं समझती

झोंक देते हैं जो लोग अपनी जान हर काम में
सिफारिशें उनकी ही लेती है सलाहकार नहीं
समझती

सदियाँ लगा दो चाहे किसी का भरोसा जीतने में
कुछ तल्खियाँ आजाएँ तो ईमानदार नहींसमझती

नौसिखियों से ही लेकर खुश हो जाती है अक्सर
जानकारों की सलाह को असरदार नहीं समझती

बैठे हैं तख्तो ताज पर यहाँ कई विरासत वाले
चराग़ जो तूफां में जले उन्हें फ़नकार नहीं
समझती

© ✍🏻sidd