सुनो नारियों, शक्ति तुम्हारी अपार है
सुनो नारियों, उठो अपने हक की आवाज़ बुलंद करो,
सपनों को साकार करो, साहस का दीप जलाओ।
कितनी बार तुमने सहे हैं, चुपके से बंधे जख्म,
अब वचन करो खुद से, अपने भाग्य का लेखा जोख।
क्यों उम्मीद लगाओ तुम किसी और के कदमों से,
जब शक्ति है तुम्हारी, अपनी पहचान सजाने में।
दमन और तिरस्कार की जंजीरें तोड़ दो,
अपनी खुद की राह पर...