...

8 views

फस गए यार किस झमेले में
उफ़ कितना शोर है ये मेले में ,
बड़े ही खुश थे हम अकेले में,

मोहब्बत करके सोचते हैं अब ,
फस गए यार किस झमेले में ,

इस तरह कैद हैं जहां में हम,
जैसे घोड़े किसी तबेले में,

खुद तो सेब खा रही है वो,
हमको बहला दिया है केले में,

सब दुकानें सजा के बैठे हैं ,
हम गुजर कर रहे हैं ठेले में,

© राम अवतार "राम"