फस गए यार किस झमेले में
उफ़ कितना शोर है ये मेले में ,
बड़े ही खुश थे हम अकेले में,
मोहब्बत करके सोचते हैं अब ,
फस गए यार किस झमेले में ,
इस तरह कैद हैं जहां में हम,
जैसे घोड़े किसी तबेले में,
खुद तो सेब खा रही है वो,
हमको बहला दिया है केले में,
सब दुकानें सजा के बैठे हैं ,
हम गुजर कर रहे हैं ठेले में,
© राम अवतार "राम"
बड़े ही खुश थे हम अकेले में,
मोहब्बत करके सोचते हैं अब ,
फस गए यार किस झमेले में ,
इस तरह कैद हैं जहां में हम,
जैसे घोड़े किसी तबेले में,
खुद तो सेब खा रही है वो,
हमको बहला दिया है केले में,
सब दुकानें सजा के बैठे हैं ,
हम गुजर कर रहे हैं ठेले में,
© राम अवतार "राम"