...

16 views

Period
कोई कुकर्म नही

प्रकृति का नियम यही

इसमे उसकी गलती नही

उसके दर्द का एहसास नही

मुश्किल दिन मे साथ नही

फिर क्यों मजाक बना रखा है

क्यों अपवित्र बता रखा है

जब जीवन का है आधार यही

फिर क्यों मंदिर मस्जिद मे प्रवेश नही

जाने की रसोई में इजाजत नही

ये छूना नही... वो छूना नही

सोच में आज भी कोई बदलाव नही

पीरियड्स के नाम से कतराते है

मानो जैसे पाप है

पाप नही पाक है ये

हमारे अस्तित्व का कारण है ये

सोच बदली है कुछ

पर अभी भी वो बात नही

कुछ बदलाव अभी लाना है

काली प्लास्टिक से उसे बाहर लाना है

मासिक धर्म से हूँ

कहने में शर्म नही


© बेशक मैं शायर नहीं