Period
कोई कुकर्म नही
प्रकृति का नियम यही
इसमे उसकी गलती नही
उसके दर्द का एहसास नही
मुश्किल दिन मे साथ नही
फिर क्यों मजाक बना रखा है
क्यों अपवित्र बता रखा है
जब जीवन का है आधार यही
फिर क्यों मंदिर मस्जिद मे प्रवेश नही
जाने की रसोई में इजाजत नही
ये छूना नही... वो छूना नही
सोच में आज भी कोई बदलाव नही
पीरियड्स के नाम से कतराते है
मानो जैसे पाप है
पाप नही पाक है ये
हमारे अस्तित्व का कारण है ये
सोच बदली है कुछ
पर अभी भी वो बात नही
कुछ बदलाव अभी लाना है
काली प्लास्टिक से उसे बाहर लाना है
मासिक धर्म से हूँ
कहने में शर्म नही
© बेशक मैं शायर नहीं
प्रकृति का नियम यही
इसमे उसकी गलती नही
उसके दर्द का एहसास नही
मुश्किल दिन मे साथ नही
फिर क्यों मजाक बना रखा है
क्यों अपवित्र बता रखा है
जब जीवन का है आधार यही
फिर क्यों मंदिर मस्जिद मे प्रवेश नही
जाने की रसोई में इजाजत नही
ये छूना नही... वो छूना नही
सोच में आज भी कोई बदलाव नही
पीरियड्स के नाम से कतराते है
मानो जैसे पाप है
पाप नही पाक है ये
हमारे अस्तित्व का कारण है ये
सोच बदली है कुछ
पर अभी भी वो बात नही
कुछ बदलाव अभी लाना है
काली प्लास्टिक से उसे बाहर लाना है
मासिक धर्म से हूँ
कहने में शर्म नही
© बेशक मैं शायर नहीं