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काहे नहीं रंगा मोहे नसीब को लाल.???
चंदन में लिपटी हुई
सफेदी ओढ़ी अपना काल...
मन मे निरुत्तर प्रश्न हजार
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
यमुना तट की टूटी झोपड़ियां सी
मन लहरे करती हाहाकार
करुणा रस से पुलकित..मन द्रवित
कालिक से लिपटा काल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मुख पर शांत भाव सी
मन करता तांडव सा रुदान
दीप की लौ समान शांत
जलती मन मे भारी अग्नि लाल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
पतझड़ सावन मौसम एक समान
समेटे अपना बिता काल
छलत शीशे के टुकड़ा टुकड़ा
प्रतिबिंब लगे मैल निहाल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मोहे रंग दो लाल नँद के लाल
कर दो मुक्त ये अश्रु लाल
व्याकुल मन मोरा दुखी बेहाल
ओस की बूंदों समान झरते मेरे प्राण
अब मोहे कर दो मुक्त मेरे लाल...!!!
सताए ये प्रश्न मुझे
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
समाज की अदृश्य महिलाओं को समर्पित...❤️
जो व्रन्दावन या पुण्य नगरी वाराणसी द्वारा ही अपनाई गई..
© A.subhash
#WritcoQuote #Life&Life #pain #society #Love&love #questions #poem #writco #thinking #heartbroken
सफेदी ओढ़ी अपना काल...
मन मे निरुत्तर प्रश्न हजार
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
यमुना तट की टूटी झोपड़ियां सी
मन लहरे करती हाहाकार
करुणा रस से पुलकित..मन द्रवित
कालिक से लिपटा काल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मुख पर शांत भाव सी
मन करता तांडव सा रुदान
दीप की लौ समान शांत
जलती मन मे भारी अग्नि लाल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
पतझड़ सावन मौसम एक समान
समेटे अपना बिता काल
छलत शीशे के टुकड़ा टुकड़ा
प्रतिबिंब लगे मैल निहाल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मोहे रंग दो लाल नँद के लाल
कर दो मुक्त ये अश्रु लाल
व्याकुल मन मोरा दुखी बेहाल
ओस की बूंदों समान झरते मेरे प्राण
अब मोहे कर दो मुक्त मेरे लाल...!!!
सताए ये प्रश्न मुझे
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
समाज की अदृश्य महिलाओं को समर्पित...❤️
जो व्रन्दावन या पुण्य नगरी वाराणसी द्वारा ही अपनाई गई..
© A.subhash
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