काहे नहीं रंगा मोहे नसीब को लाल.???
चंदन में लिपटी हुई
सफेदी ओढ़ी अपना काल...
मन मे निरुत्तर प्रश्न हजार
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
यमुना तट की टूटी झोपड़ियां सी
मन लहरे करती हाहाकार
करुणा रस से पुलकित..मन द्रवित
कालिक से लिपटा काल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मुख पर शांत भाव सी
मन करता तांडव सा रुदान
दीप की लौ समान शांत
जलती मन मे भारी अग्नि लाल
काहे नही रंगा...
सफेदी ओढ़ी अपना काल...
मन मे निरुत्तर प्रश्न हजार
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
यमुना तट की टूटी झोपड़ियां सी
मन लहरे करती हाहाकार
करुणा रस से पुलकित..मन द्रवित
कालिक से लिपटा काल
काहे नही रंगा मोहे नसीब को लाल...???
मुख पर शांत भाव सी
मन करता तांडव सा रुदान
दीप की लौ समान शांत
जलती मन मे भारी अग्नि लाल
काहे नही रंगा...