...

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मैं , तुम और आईना
मेरे ऐब़ को तलाशना बंद कर देंगे ये लोग,
ग़र तोहफ़े में इन्हें आईना दे दूँ.....

जगमगा कर चकाचोंध हो जाएंगे सभी लोग
गर तोहफ़े में इन्हें मैं अपना मुकद्दर दे दूँ....

चश्मदीदों की कमी नहीं है यहॉं तेरे शहर में
अपनी मुख़ालिफ करते नहीं थकते तेरे शहर में

हक़ दिया जाए इन्हें मुझे बेईज्जत करने का
ग़र तोहफ़े में इन्हें अभि आईना दे दूं.....

मेरे के ऐबों को तलाशना बंद कर देंगे ये लोग,
मैं अगर तोहफे में इन्हें इन्हीं का आईना दे दूँ.....

मुफ़लिसीयत का ज़नाजा चढ़ा बड़े जोर-शोर से
इन रास्तों में मैं कहीं अपने घुटने ना टेक दूँ....

हताश-बदहवास-बेसब्री का मंज़र यूॅं देखकर
लोगों की नियत को खुश होता हुआ यूॅं देखकर

ता उम्र गुज़री है लोगों को खुश रखने की ,
अभि नाफरमान नाकाम ज़िद मेरी
नाफरमान ज़िद को ये नफीस समझेंगे ,
गर में नहीं आईना दे दूॅं.....

सभी के सभी ऐबों को तलाशना ,
बंद कर देंगे ये चेहरे पर चेहरे चढ़ा रख्खे लोग,
मैं अगर तोहफे में इन्हें आईना दे दूँ.....
© ✍️©अभिषेक चतुर्वेदी 'अभि'