...

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नयनों से अश्रु बह गये
नयनों से अश्रु बह गये
स्वप्न सारे दह गये।

भूख से व्याकुल बच्चें
थोङे सच्चे थोङे कच्चे
देखकर रोटी मचल गये

नयनों से अश्रु बह गये
स्वप्न सारे दह गये।

आखों के मोती से कंचे
लगते सुन्दर काजल से पुते
स्नेह विहिन सब रह गये।

नयनों से अश्रु बह गये
स्वप्न सारे दह गये।

नन्हे हाथ फैलाते मासूम से
दुत्कारे पाते जग वालों से
खाली हाथ ही सब रह गये।

नयनों से अश्रु बह गये
स्वप्न सारे दह गये।

© Rakesh Kushwaha Rahi