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कोशिशों को भी सराहना चाहिए.....
बच्चा होनहार होता है,
फट- फट ज़वाब देता है
अजी , हाजिर ज़वाब नहीं
सवालों के सही ज़वाब देता है
तो सीना शिक्षक का ,
गर्व से फूल जाता है
चेहरा गुरूर से खिल जाता है
मानों सफ़लता का मुकाम,
शिक्षक ने छुआ हो
उसके ही प्राप्त अंकों में
इज़ाफा हुआ हो ।

ऐसा कई बार देखा है हमने
पर उस रोज हमने कुछ अलग ही देखा
चेहरा तो शिक्षक का
उस दिन भी खिला था
चाँद सी शीतलता संग
एक हल्की - सी मुस्कान थी
बस फर्क़ इतना था
उस दिन की सीढ़ी विफलताओं से भरी
ज़वाब देकर भी
बच्चे के हाथ हार ही लगी थी ।

हैरानी में किसी ने ,शिक्षक से पूछा
क्या बात है महोदय
आपकी शिक्षा तो काम नहीं आई
बच्चों के जवाबों में आपकी सफ़लता नहीं
असफ़लता है समाई
पर फिर भी आप मुस्कुरा रहे हैं
क्या पाया है कि आप ,
इतना इतरा रहें हैं ।

पर बात सुन शिक्षक की
चेहरा व्यक्ती का भी खिल उठा
सफलता का एक नया नजरिया
उसके समझ में आया
जब शिक्षक ने कहा
मैं सही माइने में सफल नहीं
पर किसी भी तरह विफल नहीं
आज बच्चे के कुछ ज़वाब सही नहीं
पर गलत जवाबों में भी है
अच्छी बात छिपी ।

उस बच्चे में जीतने की चाह है
गलत कर , गलतियों को जानने की
एक अच्छी आदत है
मुझे खुशी है कि, हारने के डर से
उसने लड़ना ना छोड़ा
गलत ज़वाब देने के डर से
उसने चुप रहना सही ना समझा
एक दिन यही कोशिशें उसे
गलतियों की पहचान करा
सफ़लता की सीढ़ी की ओर ले जाएगा
इसलिए कोशिशों को सराहने के लिए
कभी- कभी हार में भी
मुस्कुराना चाहिए ,
डांट से ही नहीं, मुस्कान से भी
हौसला बढ़ाना चाहिए ।।



© nehaa