सोचती हूं शायद!
सोचती हूं शायद
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ नहीं पाई ।
उसे मुझे यही शिकायत थी
पर वह कह ना पाया ।
प्यार तो था उसे मुझेसे
पर वो बता ना पाया ।
कुछ नुमाईश थी उसे
वह जता ना पाया ।
सोचती हूं शायद
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ ना पाई।
© Lalita paliwal
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ नहीं पाई ।
उसे मुझे यही शिकायत थी
पर वह कह ना पाया ।
प्यार तो था उसे मुझेसे
पर वो बता ना पाया ।
कुछ नुमाईश थी उसे
वह जता ना पाया ।
सोचती हूं शायद
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ ना पाई।
© Lalita paliwal