...

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सोचती हूं शायद!
सोचती हूं शायद
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ नहीं पाई ।

उसे मुझे यही शिकायत थी
पर वह कह ना पाया ।

प्यार तो था उसे मुझेसे
पर वो बता ना पाया ।

कुछ नुमाईश थी उसे
वह जता ना पाया ।

सोचती हूं शायद
मुझ में ही कुछ कमी रह गई
शायद मैं ही समझ ना पाई।

© Lalita paliwal