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आगे की राह ।
महिला - पुरुष सब है एक समान ऐसा कहता है अपना संविधान,
लैंगिक असमानता और विधिक छमता ,अनुच्छेद 15 और 14 में है विद्यमान,
महिलाओं को भी आगे बढ़ाना है ऐसा सब का है विचार,
फिर भी प्रतिनिधित्व के संघर्ष में महिलाओं का ही है स्थान।

शिक्षा नहीं इनका पुरुषों के समान ,
असमानता है यहां विद्यमान
जिससे आत्मविश्वास का है अभाव इनमें ,
ना ही बेहतर निर्णय लेने कि है छमता इनमें
शिक्षा नीति को अधिक समावेशी बनाने की है आवश्यकता
पुरुषों को लाना होगा उनके दृष्टिकोण में सकारात्मकता ।

कौशल की है इनमें कमी,
ये अभी भी पुरूषों और समाज पर है निर्भर बनी
स्किलिंग और माइक्रो फाइनेंसिंग का करना होगा विकास,
जिससे हो आर्थिक मजबूती हर एक महिला के पास
वित्तीय सशक्तीकरण का रखें ख्याल,
महिलाओं के लिये सृजित करें रोज़गार।

सुरक्षा आज भी इनको चाहिए,
भ्रूण हत्या, घरेलू हिंसा, बलात्कार आदि की अब ये ना शिकार बनना चाहिए
सरकार को जागरूकता बढ़ाने हेतु एक बहु-क्षेत्रीय रणनीति तैयार करनी चाहिए
पैनिक बटन, निर्भया पुलिस स्क्वॉड,महिलाओं का कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के सहायता से एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना चाहिए।

कहीं - कहीं पर लड़की का जन्म आज भी दुर्भाग्य है बना,
इनके जन्म पर लड़कों की तरह जश्न मनाना
शासन के निम्नतम स्तर पर निर्दिष्ट कार्य होने चाहिए,
स्वागतम् नंदिनी,नन्हे चिन्ह जैसे कार्यक्रम देश के कोने - कोने में होना चाहिए
इनपे बस तुम भरोसा रखो बेटे का भी फ़र्ज़ निभायेंगी,
बेटा अगर बुढ़ापे का सहारा है तो ये भी बेटों से कम ना कहलाएंगी।


टेक्नोलॉजी के होते हुए भी होता है इनको घरेलू कार्यों में है दिक्कते,
ये अभी भी प्रायः पानी और ईंधन की लकड़ी लाने जैसे कठिन कार्यों को हैं करतीं
ग्रामीण स्तर पर बुनियादी सुविधाओं में सुधार की है आवश्यकता,
पाइप से पेयजल की आपूर्ति और स्वच्छ प्राकृतिक गैस (जिसमें सुधार आ भी रहा है) इस भार को कम करेगा ।

अभी भी प्रगति की भूमिका से हैं महिलाएं वंचित,
जिससे ये विकास के फल की निष्क्रिय प्राप्तकर्ता हैं बस बनी
महिलाओं में प्रगति और कौशल का विकास करना चाहिए,
हर महिला को उसका नेतृत्व संदर्भित करना चाहिए
महिला विकास से महिला नेतृत्वकारी विकास की ओर बढ़ना चाहिए,
आने वाली पीढ़ियों के लिये शिक्षा और सशक्तीकरण सुनिश्चित एक शिक्षित महिला के द्वारा ही होनी चाहिए ।

वर्षों से समाज के अन्याय को यह है झेलती,
बदलते समय के साथ इन्हें अपनी एक पहचान बनानी होगी
लैंगिक रूढ़ियों की बेड़ियों को इनको आवश्यक है तोड़ना,
तभी ये अपने सपनों की प्राप्ति के लिये मज़बूती से खड़ी होंगी।
देना होगा हर एक पुरुष को और समाज को हर एक महिला के लक्ष्य का जिम्मा,
तोड़ना होगा सरकार को उसके सफ़लता को रोकने वाला हर एक सीमा ।

महिला है ये कमजोर नहीं है ,
ताकत है इसमें लेकिन शोर नहीं है
छोड़ देगी पुरूषों को मैदान में पीछे,
राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था की ओर सरकार बढ़ावा जो दे दे ।



© Shreya tiwari