जान कर हम भी खा रहे हैं फरेब ये शराफत नहीं ताे फिर क्या है
दिल में चाहत नहीं तो फिर क्या है
उनसे रगबत नहीं ताे फिर क्या है
राेज मैं पूछता हूँ हाल उनका
ये माेहब्बत नहीं ताे फिर क्या है
रूठ जाते हाे बेवजह जो तुम
ये शरारत नहीं ताे फिर क्या है
जान कर हम भी खा रहे हैं फरेब
ये शराफत नहीं ताे फिर क्या है
हाे के नाराज फिर भी खुश हूँ शाह
गर ये उल्फत नहीं ताे फिर क्या है
SHAH ALAM BAGI
उनसे रगबत नहीं ताे फिर क्या है
राेज मैं पूछता हूँ हाल उनका
ये माेहब्बत नहीं ताे फिर क्या है
रूठ जाते हाे बेवजह जो तुम
ये शरारत नहीं ताे फिर क्या है
जान कर हम भी खा रहे हैं फरेब
ये शराफत नहीं ताे फिर क्या है
हाे के नाराज फिर भी खुश हूँ शाह
गर ये उल्फत नहीं ताे फिर क्या है
SHAH ALAM BAGI
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