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अपनापन बना रहे
रिश्ता दूर का हो और अपनापन हो
तो खुशियाँ दुगनी हो जाती है !
अपनों के बीच रहकर भी बेगानापन हो
तो ख़ुशियाँ... ख़ुशियाँ कहाँ रह जाती हैं !!
हम ढूँढ़ते हैं अपनों से दूर गैरों में खुशियाँ !
गिनते हैं अपनों के दोष,औरों की खूबियाँ !!
मिलेगा वही द्विगुणित हो जो किया है जमा ,
कैसे आएगा स्थायित्व ,कैसे बसेगा प्यार का ज़हाँ !!
© MaheshKumar Sharma
21/5/2023
#Writcopoem
#MeriKavitaye
#maheshkumarSharma
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