...

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थकने लगा है आदमी....
जिम्मेदारियों से अब थकने लगा है आदमी
खाली पेट भरने में अब थकने लगा है आदमी

सच बोलने में भी तो अब थकने लगा है आदमी
झूठ छिपाने में भी तो अब थकने लगा है आदमी

रिश्ते निभाने में भी तो अब थकने लगा है आदमी
और तो और रिश्ता बनाने में भी थकने लगा है आदमी

जिंदगी की दौड़ में अब तो पीछे छूटने लगा है आदमी
मौत के डर से अब कंधा देने में भी डरने लगा है आदमी

मानवता के प्रेम से भी तो अब कतराने लगा है आदमी
और तो और ईश्वर के प्रेम में भी थकने लगा है आदमी
******* अंजली ******