जो फ़िराक़ में ना डूबा वो भला शायर क्या है
मैंने सुना है नगमा तेरी दिलकश निग़ाहों का
मैं वाक़िफ हूं उस तराने से
जो तेरी मुस्कान से निकली फिज़ा में है
अक्सर मैंने चाहा तेरा वो चेहरा दरख़्शाँ
मांगा तर्ज़-ए-मोहब्बत जो तेरी पनाहों में है
लेकिन मुझे मालूम नहीं कोई रास्ता
जो...
मैं वाक़िफ हूं उस तराने से
जो तेरी मुस्कान से निकली फिज़ा में है
अक्सर मैंने चाहा तेरा वो चेहरा दरख़्शाँ
मांगा तर्ज़-ए-मोहब्बत जो तेरी पनाहों में है
लेकिन मुझे मालूम नहीं कोई रास्ता
जो...