पैमाने में ....
शोहरत भी था, मकसद भी था
सोंचा जी लूंगा अब इस जमाने में ।
कहाँ इल्म था मुझे
जमाने की साजि़श...
सोंचा जी लूंगा अब इस जमाने में ।
कहाँ इल्म था मुझे
जमाने की साजि़श...