...

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अपने जज़्बात दबाए
उलफ़त में तुम्हारी, बड़ी शिद्दत थी छूपी… निगाहें तुम्हारी कुछ ये करते थे बयान ।
बदले में अपने जज़्बातों को छुपाए रखना जैसे हम तहफ्फूज-ए-तलवार के मयान ।।

मोहब्बत में तुम्हारे, पाई थी हमने नजरों से… तुम्हारी नई नई कई अदाएं ।
बढ़ न पाए, क्यूँके हद थे बंधे… जैसे कोई गुनाह जिसकी...