...

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ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
कुछ चंद कारणों के लिए,
कि ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
कुछ चंद कारणों के लिए,

लड़ने लगी है अपनों से बहुत
छोटी अधिकारों के लिए
टूटता जा रहा है सारा होंसला मेरा
छोटी-छोटी बातों के लिए,

कि ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
कुछ चंद कारणों के लिए
बेटे-बेटियों में अब फर्क सा होने लगी है
एक ही छत के नीचे,

भेद भाव की भावना भी दिखने लगी है
बेटे गर्लफ्रेंड तक रख सकते हैं
पर बेटियां अपने मन का
कपड़े तक नहीं पहन सकती,

कि ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
कुछ चंद कारणों के लिए
सोच में पड़ गई है मेरी जिंदगी
खुद को कैसे बनाऊं

मुझे तो अपनों ने नहीं समझा
तो मैं दुनिया को कैसे समझाऊं
कि ज़िन्दगी अब बोझिल लगने लगी है
कुछ चंद कारणों के लिए
_Rabina