...

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हक।
#सड़क
आधा सड़क सरकार का,
आधा सड़क निर्माणकार का;
आधा सड़क बेघर यार का,
और आधा सड़क ख्वाबों में बसे गरीब के संसार का,

हक कौन ले जायेगा और किसका मारा जायेगा ,

राह खड़े सभी है, देखो इंतजार कौन कर पाएगा,

की तरस रही आंखे किसी की उम्मीद में बस एक आसरे की,

लालच भरा है कुछ आंखो में , तोड़ने को उम्मीद किसी की,

लड़ रहा है वो सबसे ,बचाने को जिंदगी खुद की,

यहां जहर है, धोखा है, अपनेपन का मुखौटा है,

छीन रहे हम हक किसी का, यहां देने वाला ही सब लूट रहा,

जिसकी आंखें तरस रही बस वो यूं ही सब देख रहा,

झोपड़ी सुनी पड़ी किसी की, और महल किसी का पूरा भर रहा,


कौन सुनेगा ये आवाज, कौन उठाएगा आवाज इनकी,

आंखों में आसूं लिए , चेहरे पर मुस्कान है,
हक की बात करेगा कौन इनकी।





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