...

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बारी आती हैं
दुनिया झूठी अपने हर ऐब छुपाती हैं
मन में मैल जमा और तन चमकाती हैं

पूजे कन्या इक़ दिन का ये स्वाग़ रचाकर
रब को अपनी ये झूठी...