किसान ( भारत की शान )
मजदूरों की भीड़ में अपनी कुर्सी बचाना है ,
वो तो कहीं भी रह लेंगे नेता को अपने ही घर जाना है ।
भूख प्यास की किल्लत तो मजदूरों का बहाना है ,
भाड़ में जाए जनता बेचारी , हमको मधुशाला खुलवाना है ।
सूखी रोटी, बिस्किट खाकर तपती धूप में...
वो तो कहीं भी रह लेंगे नेता को अपने ही घर जाना है ।
भूख प्यास की किल्लत तो मजदूरों का बहाना है ,
भाड़ में जाए जनता बेचारी , हमको मधुशाला खुलवाना है ।
सूखी रोटी, बिस्किट खाकर तपती धूप में...