...

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किसान ( भारत की शान )
मजदूरों की भीड़ में अपनी कुर्सी बचाना है ,
वो तो कहीं भी रह लेंगे नेता को अपने ही घर जाना है ।

भूख प्यास की किल्लत तो मजदूरों का बहाना है ,
भाड़ में जाए जनता बेचारी , हमको मधुशाला खुलवाना है ।

सूखी रोटी, बिस्किट खाकर तपती धूप में चलते जाना है ,
सरकारों के वादों की भी हकीकत तो बतलाना है।

नहीं मिल रहा राशन पानी , बच्चे को भूखा सो जाना है ,
पांच साल के बाद फिर घर घर हांथ जोड़कर रात को दारू बटवाना है ।

किसान का क्या उसको तो खेत ही जाना है,
जरूरी तो नेता हैं जिनको सांसद जाना है...!!



(किसान और नेता दोनों ही देश के लिए जरूरी हैं , लेकिन किसान की परेशानियों पर राजनीति करना गलत है । )