7 views
आसान नहीं है ठहराव से प्रेम
आसान नहीं है ठहराव से प्रेम
ताउम्र हम जिस ठहराव की
प्रतीक्षा में लगा देते हैं
ढूँढते है ,कसकते हैं
खोजते हैं जगह -जगह
जब मिल जाता है,
तो पहले असीम सुकून मिलता है
वो सुकून ;
जो गुणन फल है प्रतीक्षा का
अंत उत्पाद है ठहराव का
वो सुकून ख़ुशी देती है बेहिसाब
पर फिर उस ठहराव में
इतनी बेचैनी नहीं होती
ना होती है कोई हड़बड़ाहट
वो तो शांत अचल और गंभीर है
चिर प्रतीक्षित हैं
उसे कहाँ होगी घबराहट
पर तुम जो ढूँढ रहे थे ठहराव
उसमें मचती है फुसफुसाहट
और शनैः - शनैः हो जाता है अधीर
सोचता है इतने धीर गंभीर में
क्यूँ नहीं होती बेचैनी
क्यूँ नहीं जल्दी होता क्रियाशील
फिर जन्म लेता है बिखराव
हाँ; उसी ठहराव से बिखराव
ना बिखराव खुश न ठहराव
ना बिखराव ग़लत न ठहराव
पर हो जाता है अंतहीन अलगाव
तभी तो आसान नहीं होता
ठहराव से प्रेम….
© Ritu Verma ‘ऋतु’
ताउम्र हम जिस ठहराव की
प्रतीक्षा में लगा देते हैं
ढूँढते है ,कसकते हैं
खोजते हैं जगह -जगह
जब मिल जाता है,
तो पहले असीम सुकून मिलता है
वो सुकून ;
जो गुणन फल है प्रतीक्षा का
अंत उत्पाद है ठहराव का
वो सुकून ख़ुशी देती है बेहिसाब
पर फिर उस ठहराव में
इतनी बेचैनी नहीं होती
ना होती है कोई हड़बड़ाहट
वो तो शांत अचल और गंभीर है
चिर प्रतीक्षित हैं
उसे कहाँ होगी घबराहट
पर तुम जो ढूँढ रहे थे ठहराव
उसमें मचती है फुसफुसाहट
और शनैः - शनैः हो जाता है अधीर
सोचता है इतने धीर गंभीर में
क्यूँ नहीं होती बेचैनी
क्यूँ नहीं जल्दी होता क्रियाशील
फिर जन्म लेता है बिखराव
हाँ; उसी ठहराव से बिखराव
ना बिखराव खुश न ठहराव
ना बिखराव ग़लत न ठहराव
पर हो जाता है अंतहीन अलगाव
तभी तो आसान नहीं होता
ठहराव से प्रेम….
© Ritu Verma ‘ऋतु’
Related Stories
20 Likes
4
Comments
20 Likes
4
Comments