...

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कुछ कमी सी है
यूं तो सब है ज़िन्दगी में, फिर भी कमी सी है
चेहरे पर मुस्कान है पर आंखों में नमी सी है

नज़र उठाऊं तो पाऊं कि नेमते बहुत हैं
सोचता हूं क्या है जिसकी कमी सी है

यूं तो हासिल बहुत है पर नाकामियां भी हैं
शायद तभी लगे है कुछ तो कमी सी है

अजीब उलझन है ज़िन्दगी, दुश्वारियां बहुत हैं
कोई मुझे बतलाए किस चीज़ की कमी सी है

यही हिसाब ले डूबा कि क्या खोया क्या पाया
सब है मगर देखा वही जिस की कमी सी है

इसी कशमकश में गुजारी है सारी ज़िन्दगी
तब समझ आया सही नज़र की कमी सी है

© अमरीश अग्रवाल "मासूम"