नज़्म : परछाई
शब-ओ-सहर कहाँ खोया हूँ मैं रहता
हर मुलाक़ात पर ये पूछती है मेरी परछाई
तेरे वजूद में खो गया हूँ मैं इस क़दर
के दर-ब-दर मुझे ढूँढ़ती है मेरी परछाई
राह-ए-मोहब्बत में इतना गहन था अँधेरा
साथ मेरा...
हर मुलाक़ात पर ये पूछती है मेरी परछाई
तेरे वजूद में खो गया हूँ मैं इस क़दर
के दर-ब-दर मुझे ढूँढ़ती है मेरी परछाई
राह-ए-मोहब्बत में इतना गहन था अँधेरा
साथ मेरा...