...

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चाँद मेरे!!
शाम ढ़ले जब आ जाते हो
मेरा आँगन महकाजाते हो
रात के रथ पर होकर सवार
चाँदनी फैला जाते हो।
ऐ चाँद ! दिन तो गुजर जाता
शाम की बेला जब आता है
रहता है मुझको इंतजार
कब कर लूँ मैं तेरा दीदार।