मुझे याद हैं आखरी अलफ़ाज़ वो सिसक रहा था
मुझे याद हैं आखरी अलफ़ाज़ वो सिसक रहा था
बिछड़ने का कहते कहते वो जब हिचक रहा था
न जाने किन मुश्किलों मे आकर वो बहक रहा था
मेरे साथ तअल्लुक़ को बढाने मे झिझक रहा था
हाँ कुछ मजबूरियां रही होंगी ज़रूर ...
बिछड़ने का कहते कहते वो जब हिचक रहा था
न जाने किन मुश्किलों मे आकर वो बहक रहा था
मेरे साथ तअल्लुक़ को बढाने मे झिझक रहा था
हाँ कुछ मजबूरियां रही होंगी ज़रूर ...