...

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हँसी सहम गई
दर्द समेट के रह जाते हैं, हम थोरै रोके चुप हो जाते हैं।
दर्द जाती नही, चैन आती नहीं,
एक बूँद ख़ुशी की खातिर
जान गवां देते है।
दर्द समेट के रह जाते हैं।

गैर हो गए जो अपने थे कल तक,
उन गैरों के लिए ही जिये थे अब तक,
अब कहाँ, दिल ही बचा है मुझ में,
हम तो बस मरने के लिए जिये जाते हैं,
हम थोरै रो के चुप हो जाते हैं।




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